नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी के बयान से सरकार की उम्मीदों को बड़ा झटका !

चीन पर को’रोना वायरस फैलाने के कई देशों के आ’रोपों के बाद भारत सरकार जहां चीन छोड़ने पर विचार कर रही विदेशी कंपनियों को लुभाने में लगा है, वहीं देश के एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री ने इस पर अपनी अलग राय जताई है।

नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा कि यह बात पक्की नहीं है कि यदि कोरोना वायरस महामारी के कारण कंपनियां चीन से बाहर निकलती हैं तो भारत को इसका फायदा होगा। उन्होंने सोमवार शाम को निजी बांग्ला समाचार चैनल से कहा कि सभी लोग चीन को कोविड-19 के प्रकोप के लिए दोषी ठहरा रहे हैं, क्योंकि ये वायरस वहीं से फैला।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बनर्जी ने कहा, ‘कोरो’ना वा’यरस के प्रको’प के लिए चीन को दो’षी ठहराया जा रहा है। लोग यहां तक कह रहे हैं कि इससे भारत को फायदा होगा, क्योंकि कारोबार चीन से हटकर भारत में आएंगे। लेकिन हो सकता है यह सच न हो।’

उन्होंने कहा, ‘क्या होगा अगर चीन अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करता है। उस दशा में चीनी उत्पाद सस्ते हो जाएंगे और लोग आगे भी उनके उत्पादों को खरीदना जारी रखेंगे।’ बनर्जी पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य में को’विड-19 का मुकाबला करने के लिए बनाए गए वैश्विक सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी हैं।

‘लोगों के पास पर्याप्त खरीद क्षमता नहीं’

बनर्जी ने कहा कि मुख्य समस्या यह है कि देश के लोगों के पास पर्याप्त खरीद क्षमता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘गरीब लोगों के पास अब धन नहीं है और उनके पास शायद ही खरीदारी करने की कोई क्षमता है। इसलिए कोई मांग भी नहीं है। सरकार को आम लोगों के हाथों में पैसा देना चाहिए, क्योंकि वे अर्थव्यवस्था चलाते हैं, न कि अमीर।’

उन्होंने कहा कि तीन से छह महीने के दौरान गरीब लोगों के हाथों में पैसा दिया जाना चाहिए और यदि वे इसे खर्च नहीं करते हैं, तो भी कोई समस्या नहीं है।

‘हमने प्रवासी श्रमिकों के बारे में नहीं सोचा’

बनर्जी का मानना है कि प्रवासी श्रमिकों की देखभाल करना केंद्र की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, ‘हमने उनकी समस्याओं के बारे में नहीं सोचा। उनकी जेब में पैसा नहीं है और उनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं है।’

अर्थशास्त्री ने कहा कि तीन या छह महीने के लिए सभी को आपातकालीन राशन कार्ड जारी करने की जरूरत है। बनर्जी ने कहा, ‘यह केंद्र की जिम्मेदारी है, क्योंकि प्रवासी श्रमिक विभिन्न राज्यों से होकर अपने घरों तक पहुंचते हैं।’ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, जिसमें ऋण अदायगी पर रोक शामिल है।