ऐप्स पर लगे बै’न से बो’खलाया ची’न, भारत के लिए कही ऐसी घ’टिया बातें

लद्दाख में ची’न से जारी सैन्य त’नाव के बीच भारत ने आर्थिक मो’र्चे पर भी ची’न को घे’रना शुरू कर दिया है. भारतीय कंपनियों में विदेशी निवेश के नियमों को स’ख्त करने के बाद अब भारत सरकार ने सुरक्षा कारणों से टिक टॉक समेत 59 ची’नी ऐप्स पर बैन लगा दिया है. भारत के स’ख्त फै’सलों से ची’न को हो रहे आर्थिक नु’कसान को लेकर ची’नी मीडिया से ती’खी प्रति’क्रियाएं आने लगी हैं.

मीडिया ने कही ये बात 

ची’न की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के संपादक हु शिजिन ने भारत में 59 चीनी ऐप बै’न होने के बाद ट्वीट में तं’ज किया, ‘अगर ची’नी लोग भारतीय वस्तुओं का बहि’ष्कार करना भी चाहें तो उन्हें बहुत भारतीय वस्तुएं मिलेंगी ही ‘नहीं.’ इसके बाद उन्होंने ‘भारतीय दोस्तों’ को आ’गाह करने की कोशिश की कि राष्ट्रवाद से ज्यादा कई दूसरी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है.

चीन की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में भी एक लेख छपा है जिसमें भारत में राष्ट्रवाद के उभार से व्यापार को नु’कसान पहुंचने की आ’शंका जताई गई है. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, “ची’न के खिला’फ भारत में बढ़ते राष्ट्रवाद की आंच अब आर्थिक क्षेत्र तक पहुंच गई है. कोरो’ना वाय’रस महा’मा’री के सं’कट और भारत-ची’न के बीच चल रहे त’नाव की वजह से दोनों दे’शों के बीच व्यापार में 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल सकती है.”

भारत-ची’न के बीच अगर व्यापार कम होता है तो इसका ज्यादा असर ची’न पर ही पड़ेगा. ची’न के साथ भारत व्यापार घाटे की स्थिति में है यानी वह ची’न से आयात ज्यादा करता है और निर्यात बेहद कम. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी ची’न के साथ अपने व्यापार घाटे का हवाला देते हुए कहा था कि ची’न से संबंध ख’त्म करने पर अमेरिका को फायदा ही होगा. यही वजह है कि ची’न दोनों देशों के बीच व्यापार कम होने की आशं’का से ज्यादा परे’शान है.

ग्लोबल टाइम्स ने चीनी कंपनियों और निवेशकों को आगा’ह किया है कि दोनों देशों के संबंधों में बढ़ती अनि’श्चि’तता’ओं के बीच ची’न को भारत में अपने नि’वेश का अच्छी तरह से मूल्यांकन करना चाहिए और चीनी निवेशकों को भी भारत में राष्ट्रवाद के उभार को लेकर सा’व’धान हो जाना चाहिए.

ची’नी अखबार ने बंदरगाहों पर ची’न के कार्गों की अतिरिक्त चेकिंग का भी जिक्र किया है. अखबार ने लिखा है, “भारत और ची’न के हालिया सी’मा सं’घर्ष के बाद भारत में कुछ नेता और मीडिया चैनल भारतीयों में राष्ट्रवाद की भा’वना भ’ड़का रहे हैं. भारतीयों के बीच ची’नी उत्पा’दों का बहि’ष्का’र की मु’हिम छे’ड़ने के अलावा बंदरगाह पर ची’नी का’र्गों को रो’का जा रहा है. सी’मा सं’घ’र्ष से पहले ही भारत ने अपने यहां विदे’शी निवेश को लेकर नि’यम स’ख्त कर दिए थे जिसे ची’नी कंपनियों को भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण करने से रो’कने की कोशिश के तौ’र पर देखा गया. यह कदम राजनीतिक हि’तों को साधने के लिए उठाया गया. इससे यह दिखता है कि भारतीय बाजार और भारत की आ’र्थिक रणनीतियां कि’तनी अप’रिपक्व हैं.

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत चीन’ में स्थापित कंपनियों को अपने यहां रिलोकेट करना चाहता है लेकिन उसके हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सेक्टर के इन्फ्रास्ट्रक्चर की क’मी को देखते हुए ये बेहद मुश्किल है. ची’नी अखबार ने लिखा, “चीन के साथ आर्थिक संबंध ख’त्म करना इतना आसा’न नहीं है. दूसरी तरफ, भारतीय बाजार में संभावनाएं तलाश रहीं कंपनियों को निवेश करने या बढ़ाने से पहले वहां के राष्ट्र’वाद को लेकर सा’वधा’न रहना चाहिए. दूसरे देशों को भी भारत में अपने विदेशी निवेश को लेकर सत’र्क रहना चाहिए खासकर अगर वे भारत के साथ स्थायी दो’स्ती की गारंटी न’हीं ले सकते हैं.”

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ऐसी परिस्थितियों में चीन और भारत के बीच होने वाला व्यापार साल 2020 में एक-तिहाई तक कम हो सकता है. यहां तक कि द्विपक्षीय व्यापार में 50 फीसदी तक की भी गि’रा’वट हो सकती है. पिछले कुछ सालों में भारत और ची’न के आर्थिक साझेदारी मजबूत हुई है और ऑटो, टेलिकम्युनिकेशन और फार्मा सेक्टर में दोनों पक्षों को फायदा हो रहा है. संपादकीय लेख में कहा गया है, “ची’नी आपूर्ति पर नि’र्भर भारतीय उद्योग ची’नी माल का बहि’ष्का’र नहीं कर पाएंगे. ची’न का विकल्प ढूंढने में भारत को सालों लग जाएंगे, चाहे वह अपनी इंडस्ट्री का विस्तार करने की कोशिश करे या दूसरे देशों से निवेश लाने की.”

भारत की ची’न के साथ आर्थिक साझेदारी में व्यापार घाटे की शिकायत को लेकर लेख में नसी’हत दी गई है कि भारत अपने उद्योगों को प्रति’स्प’र्धा के लायक तैयार करे. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, भारतीय उपभोक्ता सस्ती चीजों को पसंद करते हैं. उदाहरण के तौर पर, चीनी स्मार्टफोन भारत के घरेलू उत्पादों की तुलना में कम कीमत में ज्यादा फीचर्स देते हैं. यहां तक कि चीनी स्मार्टफोन वनप्लस-8 ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म पर लॉन्च होते ही मिनटों के भीतर बिक गया जबकि ची’नी वस्तुओं के बहि”ष्कार की मुहिम जारी थी.

इसके बाद ची’नी मीडिया ने कोरो’ना वा’य’रस महामारी की मजबूरी का जिक्र किया है. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, भारत सं’क्रमण के बढ़ते मा’मलों के बावजूद आर्थिक दबाव में लॉकडाउन की पा’बं’दियों को कम कर रही है. विशाल आबादी और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को देखते हुए भारत को पहले वा’य’रस की रोक’था’म पर ध्यान देना चाहिए.

भारत को राष्ट्रवाद की आ’ग बु’झानी चाहिए ताकि उसकी आर्थिक नीतियों पर ये हा’वी ना हो. लेख के अंत में कहा गया है कि भारत और ची’न की आर्थिक साझे’दारी और सी’मा विवा’द’ को लेकर चल रही बातचीत को देखते हुए उम्मीद है कि दोनों देशों के व्यापारिक संबंध जल्द सामान्य हो जाएंगे.