बाबा रामदेव की कंपनी ने कोरोना के इलाज का दावा, नहीं मिली इजाजत

योग गुरू बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने दावा किया है कि उसकी आयुर्वेदिक दवाओं से कोरोना संक्रमित मरीजों का सफल उपचार हो रहा है। अहमदाबाद के कोरोना मरीजों पर उसकी आयुर्वेदिक दवाओं का परीक्षण सफल साबित हुआ है।

अधिकांश मरीजों को कोरोना पॉजिटिव से निगेटिव करने में सफलता मिली है, जबकि क्वारंटीन में रह रहे कोरोना लक्षण वाले मरीजों को गंभीर स्थिति में पहुंचने से पहले ही स्वस्थ कर लिया गया है। पतंजलि की आयुर्वेदिक दवाओं में अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी जैसी सौ चिकित्सकीय उपयोग की औषधियों से मिले तत्त्वों का उपयोग किया गया है।

अपने इसी तरह के परीक्षणों के आधार पर ही पतंजलि ने सीटीआरआई से अपनी आयुर्वेदिक दवाओं के क्लीनिकल परीक्षण की अनुमति मांगी है जिसे शुक्रवार को स्वीकार कर लिया गया है। पतंजलि अब जयपुर के निम्स अस्पताल में सौ मरीजों पर आयुर्वेदिक दवाओं का क्लीनिकल परीक्षण करेगा। अगर आधुनिक परीक्षण पद्धति से इन दवाओं का टेस्ट सफल पाया जाता है तो इसे कोरोना के उपचार में प्रामाणिक दवा मान लिया जाएगा।

निम्स, जयपुर के मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. जी देवपुरा ने बताया कि वे पतंजलि की दवाओं के असर का परीक्षण करने के लिए मरीजों को 50-50 के दो वर्ग में बांटेंगे। मरीजों में 15 वर्ष से 80 वर्ष आयु वर्ग के पुरूष और महिला मरीज शामिल किए जाएंगे जो इलाज के दौरान अपनी इच्छा से परीक्षण पर अपनी सहमति दे सकेंगे और इलाज के दौरान अपना अनुभव परीक्षणकर्ताओं से साझा कर सकेंगे।

इनमें पहले पचास मरीजों को आयुर्वेदिक दवाएं दी जाएंगी, जबकि बाकी मरीजों को प्लेसिबो रखा जाएगा यानी उनको आयुर्वेदिक दवाएं नहीं दी जाएंगी। दोनों वर्ग के मरीजों का बीच-बीच में आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जाएगा। परीक्षण के बाद मिले परिणाम को आईसीएमआर और अन्य संस्थाओं से साझा किया जाएगा।

आयुर्वेदिक दवाओं का अच्छा असर: आचार्य बालकृष्ण

पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के चेयरमैन आचार्य बालकृष्ण ने ‘अमर उजाला’ को बताया कि उनकी आयुर्वेदिक दवाओं का कोरोना संक्रमित मरीजों पर बहुत अच्छा असर हो रहा है। अब तक दो दर्जन से अधिक कोरोना पीड़ित इन दवाओं के असर से स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं। इन दवाओं के क्लीनिकल परीक्षण की अनुमति मिल चुकी है।

इंदौर में हुआ विवाद

क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री इंडिया (CTRI) से अनुमति के बाद पतंजलि ने इंदौर के मरीजों पर पतंजलि के दवाओं के क्लीनिकल परीक्षण की अनुमति मांगी थी, लेकिन जिलाधिकारी मनीष सिंह ने अनुमति देने से इनकार कर दिया है।

इसके पूर्व मध्यप्रदेश के एक विधायक प्रवीण पाठक ने पतंजलि की दवाओं को क्लीनिकल ट्रायल दिए जाने का यह कहते हुए विरोध किया था कि इंदौर में कोरोना की स्थिति विस्फोटक होती जा रही है, लेकिन राज्य सरकार बिना प्रमाणिक दवाओं के परीक्षण की अनुमति देकर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रही है। अपना विरोध जताते हुए विधायक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले पर संज्ञान लेने का भी अनुरोध किया था।

वहीं, आयुष मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि पतंजलि की दवाएं अभी परीक्षण के दौर में हैं। आधुनिक चिकित्सकीय मापदंडों पर पूरी तरह से खरा उतरने पर ही उसे कोरोना की औषधि होने का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इसके लिए पर्याप्त चिकित्सकीय परिणाम के आंकड़ों और परीक्षणों की आवश्यकता होगी। इसके लिए एक प्रक्रिया का पालन किया जाता है।