अर्नब गोस्वामी को बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने नहीं मिली राहत, फिर से मुंबई पुलिस के सामने पेश होने के निर्देश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को राहत देने से इनकार कर दिया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अर्नब गोस्वामी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें नागपुर और मुंबई में उनके और चैनल के खिला’फ दायर दो एफआ’ईआर को रद्द करने की मांग की गई थी। याचिका में अर्नब ने पूछता’छ के लिए पु’लिस के सामने पेश होने से छूट मां’गी जिसे कोर्ट ने अस्वी’कार कर दिया, लेकिन अदा’लत ने अर्नब को गिरफ्ता’री से सुरक्षा दे दी है।

न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति रियाज चागला की खंडपीठ ने अर्नब द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को अर्नब की याचिका को रद्द करने और उसके खिला’फ सीबीआ’ई को जांच स्थानां’तरित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

फीनिक्स लीगल के अर्नब के वकील माधवी दोशी ने कुछ समय के लिए पासओवर की मांग की क्योंकि वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे उस समय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल नहीं हो पाए थे, इसलिए मामले को वापस रखा गया और कुछ घंटों बाद साल्वे मामले में पेश हुए हुए।

महाराष्ट्र में अर्नब के खिला’फ दायर दो एफआ’ईआर साल्वे ने पढ़ी, जिसमें से एक राज्य के ऊर्जा मंत्री और कांग्रेसी नेता नितिन राउत ने नागपुर में पा’लघर घ’टना पर अर्नब के क’थित भड़’काऊ बया’नों के लिए द’र्ज करवा’ई थी और दूसरी प्रा’थमिकी बांद्रा स्टेशन पर भी’ड़ की घटना के कथि’त सांप्रदा’यिकरण पर थी।

Supreme court

एफआ’ईआर पढ़ने के बाद, साल्वे ने कहा कि भारत भर में ऐसी ही एफआईआर दर्ज की गई हैं और 19 मई के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पैरा 31 और 33 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही माना है कि एक ही घटना पर कई राज्यों में एफआ’ईआर अस्थिर है।

अर्णब गोस्वामी पर आईपी’सी की धा’रा 153, 153 ए, 153 बी, 295 ए, 298, 500, 504, 505 (2), 506, 120 बी और 117 के तहत मामला दर्ज किया गया है। साल्वे ने धारा 153 बी के माध्यम से प्रति’वाद किया और प्रस्तुत किया कि उपरोक्त धा’रा के तहत कोई अपरा’ध नहीं किया गया है।

रिपब्लिक टीवी पर अपने शो के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिला’फ अर्नब पर आ’पराधिक मा’नहानि का आ’रोप लगाने के आरो’प के लिए, साल्वे ने कहा कि यह एक पत्रकार द्वारा सोनिया गांधी पर हम’ला था, जो स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के अंतर्गत आता है।

साल्वे ने कहा कि अर्नब और उनकी पत्नी पर हम’ला करने वाली कई एफआ’ईआर विभिन्न राज्यों में दर्ज की गई हैं। इसके अलावा, मुंबई पु’लिस पूछता’छ की आड़ में उत्पी’ड़’न कर रही है। दूसरी ओर, महाराष्ट्र राज्य के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल उपस्थित हुए।

उन्होंने पु’लिस के सामने अर्णब को पेश होने पर जोर दिया। लेकिन साल्वे ने कहा कि उनके मुवक्किल को दूसरी प्राथमिकी के संबं’ध में पिधौनी पुलिस स्टेशन के सामने पेश होने से छूट दी जानी चाहिए क्योंकि उक्त पुलिस स्टेशन एक कंटेनमेंट क्षेत्र में है।

kapil sibal

इस पर सिब्बल ने जवाब दिया- “यदि पिधौ’नी कंटेन’मेंट क्षेत्र के अंतर्गत हैं तो आप एनएम जोशी पुलिस स्टेशन आ सकते हैं।” तब जजों ने साल्वे से पूछा, “मिस्टर गोस्वामी कल क्यों नहीं आ सकते?” हालांकि, साल्वे ने कल के लिए निर्धारित पूछताछ को स्थगित करने के लिए बहस जारी रखी।

सिब्बल ने विरो’ध किया, “वह जांच अधिकारी का सामना करने से क्यों ड’रते हैं? वह हर दिन अपने स्टूडियो में जाते हैं। क्या वह एक विशेष व्यक्ति हैं जिससे पूछताछ नहीं हो सकती?।”

इस प्रकार, कोर्ट ने अर्नब को कल (बुधवार) एनएम जोशी पुलिस स्टेशन के सामने पेश होने का निर्देश दिया और उन्हें गि’रफ्ता’री से अंतरिम सु’रक्षा प्रदान की। मामले में सुनवा’ई की अगली तारीख 12 जून है।