जब अकबरुद्दीन ओवैसी ने विधानसभा में सुनाई एक कहानी, फिर से वायरल हो रहा विडियो

जब भी चुनाव नजदीक आते है तो सारे नेता लोग सक्रीय हो जाते है और वह गली-गली, नुकड़-मोहल्ले में नजर आने लगते है। ये वही नेता होते है जो पिछले पांच साल तक गायब रहते है जो चुनाव जीतने के बाद जनता को झलक तक नहीं दिखाते है।

लेकिन जैसे ही चुनाव नजदीक आते है तो ये नेता लोग वोट के लिए जनता के पैरों में गिर जाते है और उनसे वोट की भीख मांगते हुए नजर आते है। लेकिन जैसे ही चुनाव जीत जाते है तो फिर से वह गायब हो जाते है।

इसके अलावा चुनाव के दौरान जब ये नेता लोग जनता के बीच रैलियां करते है तो ऐसे-ऐसे वादे करते है जैसे कि, जनता को लगता है कि, इस बार अगर यह नेता जीत गया तो हमारे देश को यह सोने की नगरी बनाकर रख देगा।

ठीक वैसे ही लोकसभा चुनावों के समय भी हुआ था जब गुजरात के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव जीतने के लिए जनता के बीच जाकर लोगों से वादे किये थे। वादे भी ऐसे किये थे कि, जैसे की सबने यही समझ रखा था कि, अब इस देश के अच्छे दिन शुरू होने वाले है।

लेकिन जैसे धीरे-धीरे जैसे ही वक़्त बीतता चला गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादे खोखले और जुमले नजर आने लगे और उन वादों में ज़रा भी सच्चाई नजर नहीं आ रही थी। मोदी जी ने तो देशवासियों को ऐसे सपने दिखाए थे कि, नरेंद्र मोदी इस बार फिर से हिन्दुस्तान को सोने की नगरी बनाकर रख देंगे। नरेंद्र मोदी ने कहा था कि, उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद वह सौ दिन के भीतर ही वह विदेशों से कालाधन लेकर आयेंगे।

अकबरुद्दीन ओवैसी ने विधानसभा भवन में नेताओं की परिभाषा बताते हुए एक छोटी सी कहानी सुनाई थी जिसे सुनने के बाद खुद अध्यक्ष महोदय जी जोर-जोर से हंसने लगे।

अकबरुद्दीन ओवैसी ने बताया कि, ‘एक बादशाह था और उसके दरबार में एक गाना गाने वाला आया और उस गाना गाने वाले ने जैसे ही गाना शुरू किया तो बादशाह इतना खुश हुआ कि, बादशाह उसके गाने को सुनकर ऐलान करने लगा कि, इसको हीरे दे दो, मोती दे दो, जागीर दे दो, सोना दे दो, चांदी दे दो।

इस ऐलान को सुनकर गाना गाने वाला बहुत खुश हुआ और अपने घर आकर उसने अपने बीवी बच्चों को यह बातें बताई तो उसके घर वाले भी बहुत खुश हुए। लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद जब वह ईनाम नहीं मिला तो उसने राजा को कहा कि, उसे अभी तक कुछ नहीं मिला है, तो इस पर बादशाह ने कहा कि, तुमने मेरे कानों को खुश किया और मैंने तुम्हारे कानों को खुश किया।’

बस यही हालत भी आज के नेताओं की है, वादे तो बहुत करते है लेकिन जब अमल करने का वक़्त आता है तो नेताओं के जुमले के अलावा कुछ नहीं मिलता है।