7 साल पहले शुरू हुई रोटी बैंक फैली 14 राज्यों में, सरहदों पार भी भर रहे भूखे लोगों का पेट

सात साल पहले यूपी के हरदोई में शुरू हुआ Indian Roti Bank अब 14 राज्यों में फैल चुका है। भूखे लोगों को खाना खिलाने की मुहिम चलाने वाले लोग नेपाल और नाइजीरिया जैसे देशों में भी लोगों के पेट भर रहा है। अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर चुकी इंडियन रोटी बैंक की मुहिम अलग-अलग प्रदेशों में फैले इसके समर्पित सदस्यों के कारण निरंतर जारी है। IRB की स्थापना करने वाले विक्रम पांडे ने बताया, “मेरा सपना भारत के हर जिले में रोटी बैंक की एक इकाई खोलने का है।

परिवारों से जुटाते हैं रोटी-सब्जी फिलहाल पूरे देश में इंडियन रोटी बैंक की 100 से अधिक इकाइयां काम कर रही हैं। IRB कैसे काम करता है इस पर विक्रम पांडे बताते हैं कि स्वयंसेवक परिवारों से रोटियां इकट्ठा करते हैं और सब्जियां तैयार करते हैं, और सब्जियों, अचार और मिर्च के एक हिस्से के साथ चार रोटियां पैक करते हैं। पांडे ने कहा कि इन पैकेटों को रेलवे स्टेशनों, बस स्टेशनों और सार्वजनिक स्थानों पर भिखारियों और भूखे और जरूरतमंदों को वितरित किया जाता है।

जानिए कमाल की प्रेरक कहानी-

किसी को भूखा न सोना पड़े

सात साल पहले लखनऊ रेलवे स्टेशन के बाहर एक बूढ़ी भूखी महिला से मुलाकात के बाद ‘इंडियन रोटी बैंक’ की नींव रखी गई थी। अब यह मुहिम 14 राज्यों में फैल चुकी है। नेपाल और नाइजीरिया जैसे देशों में भी लोगों की भूख मिटा रहा इंडियन रोटी बैंक हर संभव कोशिश करता है जिससे किसी को भी भूखे सोने पर मजबूर न होना पड़े।

IRB का 7वां स्थापना दिवस

इंडियन रोटी बैंक (IRB) के हरदोई के विक्रम पांडे ने बताया कि बैंक की शुरुआत के समय उनका नारा था- ‘भूखा ना सोया कोई (कोई भी खाली पेट नहीं सोए)। रोटी बैंक हरदोई की शुरुआत 38 वर्षीय विक्रम ने सात साल पहले की थी। 5 फरवरी को 7वां स्थापना दिवस मनाने वाले इंडियन रोटी बैंक के संस्थापक लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक हैं।

भूखी महिला से शुरू हुई यात्रा

अनोखे बैंक के बारे में न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में पीटीआई के हवाले से विक्रम पांडे ने बताया, ‘करीब सात साल पहले एक महिला लखनऊ रेलवे स्टेशन के बाहर भीख मांग रही थी। शुरुआत में मैंने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया, लेकिन वह यह कहकर रोने लगी कि उसे भूख लगी है। इसलिए मैं उसे खाने पर ले गया।’ उसने छह-सात पूरियाँ खाईं। उसे सचमुच बहुत भूख लगी थी। उस दिन मैं दिल्ली जा रहा था और पूरे रास्ते उस औरत के बारे में सोचता रहा। दिल्ली से लौटने पर मैंने किसी की मदद से भूखे को खाना खिलाना शुरू किया। कुछ दोस्तों के साथ 6 फरवरी, 2016 को इंडियन रोटी बैंक की स्थापना हुई।

हरदोई के बाद रोटी बैंक फर्रुखाबाद, खाओ पियो…

पांडे ने बताया कि शुरुआत में कुछ स्थानीय अधिकारियों ने उन्हें प्रोत्साहित किया और फिर अपने दोस्तों की मदद से भूखों को रोटियां बांटना शुरू किया। उन्होंने कहा कि लोग इस अभियान से जुड़ते रहे और कुछ समय बाद रोटी बैंक फर्रुखाबाद ‘खाओ पियो, रहो आबाद-रोटी बैंक फर्रुखाबाद’ के नारे के साथ शुरू हुआ। धीरे-धीरे आंदोलन बढ़ता गया।

IRB 12 लाख लोगों को भोजन करा रहा है

पांडे ने बताया कि इंडियन रोटी बैंक (IRB) अब 14 राज्यों के 100 से अधिक जिलों में शाखाएं हैं। लगभग 12 लाख लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान, IRB के स्वयंसेवकों ने लोगों को भोजन उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता पर कायम रहे। विपत्ति के समय इसकी बहुत सराहना हुई।

किन बातों का ध्यान रखते हैं IRB के वॉलेंटियर्स

IRB के स्वयंसेवक अलग-अलग घरों से रोटियां इकट्ठा कर सब्जी और अचार के साथ पैकेज तैयार करते हैं। रोटी के पैकेटों को साइकिल, मोटरसाइकिल और वाहनों पर वितरित करते हैं। जियामऊ निवासी व इंडियन रोटी बैंक लखनऊ के समन्वयक मोहित शर्मा बताते हैं कि स्वयंसेवक औसतन 50-60 परिवारों से 300 रोटियां जमा करते हैं। संस्थापक विक्रम पांडे के अनुसार देश भर में काम कर रही आईआरबी टीमों को हर हफ्ते औसतन 50,000 से अधिक रोटियां मिलती हैं। उन्होंने कहा कि लोग चावल और अन्य खाद्य सामग्री भी देते हैं। गरिमा रस्तोगी लखनऊ में IRB की महिला कार्यकर्ताओं को एकजुट रखती हैं। उन्होंने बताया कि स्वयंसेवक इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि वे जो भोजन इकट्ठा करते हैं वह ताजा हो और खाने के लायक हो।