सऊदी अरब के इस बड़े फैसले ने 26 लाख भारतीयों की नौकरी डाली संकट में

सऊदी अरब ने कोरो’ना संक’ट के नाम पर एक ही झटके में वहां काम कर रहे तकरीबन 26 लाख भारतीयों की रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है। दरअसल, वहां के मंत्रिमंडल ने कोरोना संकट के नाम पर निजी कंपनियों को 40 फीसदी तक सैलरी कटौती की इजाजत दे दी है।

इतना ही नहीं उसने निजी कंपनियों को कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने का भी अधिकार दे दिया है। अभी इस फैसले को सऊदी सरकारी की ओर से पुष्टि होना बाकी है और जैसे ही इसपर मुहर लगती है, निजी कंपनियों को एक बड़ा मौका मिल जाएगा।

असल में कोरोना वायरस के चलते इस वक्त सऊदी अरब भी बहुत ज्यादा आर्थिक दबाव में चल रहा है। उसका तेल बिक नहीं पा रहा है और उसका अंतरराष्ट्रीय मुद्दा भंडार तेजी से खाली होता जा रहा है।

प्राइवेट कंपनियों को 40 फीसदी तक सैलरी काटने की छूट

अरब के एक नामी अखबार अशराक अल अवसात ने जो खबर दी है, उससे लाखों भारतीय परिवारों को बहुत बड़ा झटका लग सकता है। इसके मुताबिक सऊदी अरब की कैबिनेट ने प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को सैलरी में 40 फीसदी तक कटौती की अनुमति दे दी है।

इतना ही नहीं उसने को’रना वा’यरस की वजह से पैदा हुई मुश्किल आर्थिक हालातों के मद्देनजर उन कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट बीच में ही तोड़ने की भी इजाजत दे दी है।

अखबार के मुताबिक सऊदी अरब के मानव संसाधन और सामाजिक विकास मंत्रालय देश के लेबर सिस्टम में बदलाव के लिए तैयार हो गया है। इसके तहत कंपनियां अपने कर्मचारियों के असल वेतन में से 6 महीने तक 40 फीसदी कम कर सकती हैं।

कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने का भी दिया अधिकार

बता दें कि सऊदी अरब दुनिया के चुनिंदा अमीर देशों में शामिल है। लेकिन, फिर उसने अपने नए आदेश से निजी कंपनियों को कोरोना वायरस महामारी के दौरान कॉन्ट्रैक्ट तोड़ देने का भी अधिकार दे दिया है। इसके लिए तीन शर्तें लगाई गई हैं।

सैलरी काटने के फैसले के 6 महीने बीच चुके हों, कर्मचारी ने सभी छुट्टियां ले ली हों और कंपनियां यह साबित कर दें कि वह कोविड-19 के प्रभाव से अभी भी नई उबर पाई हैं। हालांकि, इस आदेश में इस बात का भी जिक्र है कि जो कर्मचारी दिए गए 6 महीने के समय में सालाना छुट्टी पर हैं, उन्हें भी वेतन मिलता रहेगा।

26 लाख भारतीयों की नौकरियों पर खतरा

सऊदी के मंत्रिमंडल के इस फैसले पर वहां की सरकार की ओर से पुष्टि के साथ ही नए आदेश पर अमल शुरू हो जाएगा। भारत के लिए यह चिंता की बात इसलिए है, क्योंकि वहां करीब 26 लाख भारतीय विभिन्न रोजगारों में लगे हुए हैं, जिनमें से एक बड़ी संख्या पर इस फैसले का बुरा असर पड़ने की आशंका बढ़ी गई है।

इससे पहले सऊदी अरब में भारत के राजदूत आसुफ सईद भी यह आशंका जता चुके हैं कि खाड़ी देशों में काम कर रहे भारतीयों की नौकरियों पर खतरा है, जिससे भारत में वहां से आने वाली आमदनी को भी भारी नुकसान हो सकता है।

देश की कमाई पर भी लगेगा चूना

दरअसल, भारत दुनिया के उन देशों में शामल जहां प्रवासी भारतीय विदेशों से काफी धन स्वदेश भेजते हैं। पिछले साल ही ऐसे भारतीयों ने रिकॉर्ड 83 अरब डॉलर की रकम अपने वतन भेजा था।

देश की इस कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा खाड़ी देशों पर ही निर्भर है, जिनमें से अब सऊदी अरब ने बहुत बड़ा ग्रहण लगाने का रास्ता तैयार कर दिया है। अगर ऐसा हुआ तो वहां से बड़ी तादाद में भारतीय नागरिक बेरोजगार होकर स्वदेश लौटेंगे और यह पहले ही मौजूद बेरोजगारों में वह भी जुड़ जाएंगे।

भारी आर्थिक दबाव से गुजर रहा है सऊदी अरब

सऊदी अरब की दिक्कत ये है कि दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक का तेल अभी कोरोना वायरस के चलते बिक नहीं रहा है और उसे बहुत भारी आर्थिक चपत लग रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च महीने में उसके विदेशी भंडार में दो दशकों बाद सबसे ज्यादा तेजी से गिरावट आई।

आज स्थिति ऐसी हो चुकी है कि वह पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखने के लिए 26 अरब डॉलर का लोन लेने के जुगाड़ में है। वहां की सरकार पिछले कुछ दिनों से लगातार अर्थव्यवस्था को ठीक करने के लिए कठोर फैसले लेने की संकेत दे रही है।