राजधानी पटना (जानीपुर) के अख्तर इमाम ने अपनी करोड़ों की जायदाद का आधा हिस्सा अपने दो हाथियों, मोती और रानी, के नाम कर दी। अख्तर का दावा है कि इन हाथियों ने एक अपरा’धी से उसकी जा’न बचाई है।
एक मीडिया के साथ बातचीत में अख्तर इमाम ने इन दोनों हाथियों को अपने परिवार का सदस्य बताते हुए कहा कि इनके बिना वह नहीं रह सकते। अख्तर अपनी पत्नी को तलाक दे चुके हैं और अब राजधानी पटना के जानीपुर इलाके में रहते हैं। अख्तर ने बताया कि मैं 12 वर्ष की उम्र से ही महावत का काम कर रहा हूं। मेरे पिताजी और दादाजी भी महावत थे।
एशियन एलिफेंट रिहैबिलिटेशन एंड वाइल्डलाइफ एनिमल ट्रस्ट (एरावत) के प्रमुख इमाम अख्तर ने बताया कि पिछले सप्ताह मैंने अपनी करीब 6.25 एकड़ जमीन इन दोनों हाथियों के नाम कर दी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि मेरे नहीं रहने पर भी इन जानवरों को कभी भूखे नहीं रहना पड़ेगा।
अख्तर ने कहा करीब 8-9 साल पहले मेरी हत्या करने की कोशिश की गई थी। मैं सो रहा था, हथियारों से लैस कुछ अप’राधी मेरे घर में घु’स आएं और मुझ पर निशा’ना साधा लेकिन उसी वक्त मोती और रानी जोर जोर से चिंघा’ड़ने लगे और मैं जाग गया। मैंने शोर मचाया जिसके बाद वो बदमा’श वहां से भाग खड़े हुए। आज यदि मैं जिंदा हूं तो वो केवल इन हाथियों की ही मेहरबानी है।
अख्तर इमाम की अपने हाथियों के प्रति प्यार का प्यार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मोती और रानी के लिए 2016 में नालंदा के एक मोची से स्पेशल जूते बनवाए। अख्तर बताते हैं कि कई बार, नाखू’न या कुछ नुकी’ली चीजें उनके पैरों में चु’भ जाती, जिस कारण उन्हें काफी द’र्द होता था, इसी कारण मैंने इनके लिए स्पेशल जूते बनवाएं।
अख्तर ने कहा कि उनको अपने ही परिवार के सदस्यों से अपनी जा’न का खत’रा है, क्योंकि उन्होंने अपनी जमीन अपने दो हाथियों के नाम रजिस्ट्री कर दी है। उन्होंने बिहार के मुख्य वन संरक्षक और पटना जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर अपने परिवार के सदस्यों के खिलाफ कथित तौर पर ह’’त्या की कोशिश करने का आ’’रोप लगाया और उन पर का’र्रवाई करने की मांग की है।