भारतीय विज्ञान का अनूठा नमूना, 200 साल पुरानी पत्थर की घड़ी, धूप से चलती है मशीन

भारत में वैसे तो कई ऐतिहासिक कॉलेज और पाठशालाएं हैं पर संस्कृत पाठशाला के तौर पर शुरू हुआ आगरा कॉलेज 199 साल का हो गया है। नवंबर 1823 में इसकी नींव सिंधिया राजघराने के राज ज्योतिषी और संस्कृत के विद्वान पंडित गंगाधर शास्त्री ने रखी थी। आगरा कॉलेज का इतिहास काफी प्रभावशाली रहा है। आज आपको बताते हैं आगरा कॉलेज में लगी एक ऐसी घड़ी के बारे में जो कि 180 साल से सटीक समय बता रही है। यह घड़ी टिकटिक तो नहीं करती मगर धूप पड़ने पर इसकी छांव दिन का बिलकुल सही समय बता देती है।

180 सालों से सटीक समय बता रही पत्थर की घडी भारतीय विज्ञान की परंपरा विश्व की प्राचीनतम वैज्ञानिक परंपराओं में एक है। भारत में विज्ञान का उद्भव ईसा से 3000 वर्ष पूर्व हुआ है। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की खुदाई से प्राप्त सिंधु घाटी के प्रमाणों से वहाँ के निवासियों की वैज्ञानिक दृष्टि तथा वैज्ञानिक उपकरणों के प्रयोगों का पता चलता है। वैसे आज हम आगरा कॉलेज में लगी जिस अनूठी घड़ी के बारे में चर्चा कर रहे हैं वो है तो अंग्रेजों के जमाने की पर पिछले 180 सालों से सटीक समय बता रही है। दरअसल, यह किसी आम घडी की तरह टिकटिक तो नहीं करती क्योंकि यह मशीन पत्थर से बनी है। कोर्णाक मंदिर के चक्र की तरह धूप से समय दिखाती है। इसलिए इसे धूप घड़ी के नाम से भी जाना जाता है। आगरा कॉलेज अगले वर्ष अपने 200 साल पूरे होने पर भव्य समारोह की तैयारी मैं जुटा हुआ है और बताया जा रहा है कि कार्यक्रम में धूप घड़ी के संबंध में प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।

सूर्य की रोशनी की परछाई बताती है सटीक समय प्राचार्य अनुराग शुक्ल से जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि कॉलेज के पार्क में यह धूप घड़ी लगी है। इसी के कारण पार्क का नाम दो घड़ी और ध्यान रखा गया है। इसमें धूप की दिशा से समय आसानी से देखा जा सकता है। बताया जाता है कि पूर्व में समय का पता करने के लिए इसका निर्माण कराया गया था। इस घडी को बनाने का विचार कोर्णाक मंदिर में बने चक्र को देखकर आया था। कहते हैं कि स्कूल खुलने और बंद होने समेत अन्य कार्य करने का समय भी इसी घडी से तय होता था। अगर हम बात करें धूप घड़ी की विशेषता की सूर्य की रोशनी की परछाई के आधार पर सटीक समय बता सकते है। इस के बीचो-बीच काली पट्टी का पटका लगा हुआ है और चारों और रोमन और हिंदी के अंक लिखे हैं। धूप पड़ने पर पटके से इन अंकों के बीच बनी लाइन को देखकर समय पता करते हैं।

199 वर्ष का हो गया आगरा कॉलेज नवंबर 1823 में पाठशाला के तौर पर इसकी नींव सिंधिया राजघराने के राज ज्योतिषी और संस्कृत के विद्वान पंडित गंगाधर शास्त्री ने रखी थी। कॉलेज का परिसर 67 बीघे में फैला है। पहले मिडिल क्लास फिर हाईस्कूल, इंटरमीडिएट बना और अब उच्च शिक्षा की पढ़ाई हो रही है। आगरा कॉलेज में सबसे पहले कला संकाय का संचालन हुआ। इसमें संस्कृत, ज्योतिष और दर्शनशास्त्र में पढ़ाई होने लगी। विधि संकाय के साथ महाविद्यालय की शुरूआत हुई। कॉलेज 199 वर्ष का हो गया है। अब इसका द्विशताब्दी (200 वां) वर्ष का समारोह विहंगम होगा। इसके लिए आयोजन और कार्यक्रम अभी से तय किए जा रहे हैं।

11 संकाय और 15 हजार छात्र-छात्राएं मीडिया से बातचीत के दौरान प्राचार्य अनुराग शुक्ल ने बताया था कि कॉलेज में 11 संकाय हैं। इसमें कला, विधि, विज्ञान, ललित कला, शारीरिक शिक्षा संकाय के अलावा स्व वित्तपोषित संकाय में जैव प्रौद्योगिकी, वाणिज्य, अभियांत्रिकी, पत्रकारिता, प्रबंधन और शिक्षा-शिक्षक संकाय हैं। इनमें 15 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। सात छात्रावास भी हैं। आगरा कॉलेज में एनसीसी की आर्मी, महिला और एयर विंग है। एनएसएस की पांच इकाइयां और रोवर्स रेंजर्स की भी पांच इकाइयां हैं। एनसीसी कैडेट गणतंत्र परेड समेत कई महत्वपूर्ण आयोजन में शामिल हो चुके हैं। एनएसएस की इकाइयां पूरे साल सामाजिक दायित्व निभा रही हैं।