यूपी: 13 घंटे तक द’र्द से तड़’पती रही गर्भवती महिला, 8 अस्पतालों के भर्ती न करने के बाद तो’ड़ा द’म

कोरोना संकट के दौर में अस्पतालों की ला’परवाही का गंभी’र मामला सामने आया है। इलाज न मिलने के कारण गर्भ’वती महिला की मौ’त हो गई। इलाज के लिए दर-दर भ’टक रही 8 महीने की गर्भवती महिला को कोरो’ना के लक्ष’ण होने की वजह से कहीं भर्ती नहीं किया गया।

13 घंटों तक 8 महीने की गर्भ’वती महिला ऐंबुलेंस से एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक दौ’ड़ती रही और आखिरकार इलाज के अभा’व में उसने द’म तोड़ दिया। उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की भी मौ’त हो गई। मामला दिल्ली से सटे नोएडा का है। डीएम सुहास एल वाई ने जांच के आदेश दिए हैं।

मामले में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यो’गी सरकार पर निशा’ना साधा है। अखिलेश ने ट्वीट किया, ‘यूपी में प्रसव के लिए अस्पताल खोजते-खोजते एक गर्भ’वती महिला की मृ’त्यु अति दु’खद है। सरकार यह बताए कि अगर वो को’रोना के लिए 1 लाख बेड के इंतज़ाम का दावा करती है तो आ’नेवाली पीढ़ियों के लिए कुछ बेड आरक्षित क्यों नहीं रखे। बीजेपी सरकार ये भी बताए कि उसने अब तक कितने अस्पताल बनाए हैं।’

8 महीने की गर्भवती थी महिला

गाजियाबाद के खोड़ा कॉलोनी निवासी नीलम कुमारी 8 महीने की गर्भवती थी। प्र’सव द’र्द उठने के बाद उसे शुक्रवार सुबह 6 बजे उसे ऑटो से एक अस्पताल ले जाया गया। नीलम के पति बृजेंद्र एक मीडिया फर्म के मेंटिनेंस डिपार्टमेंट में काम करते हैं। उनके भाई शैलेंद्र कुमार ऑटो ड्राइवर हैं। शैलेंद्र और उनकी पत्नी सुषमा अपने ऑटो से नीलम को लेकर नोएडा के सेक्टर 24 स्थित ईएसआईसी अस्पताल लेकर गए।

कंटेनमेंट जोन से थे, इसलिए भर्ती नहीं किया

नीलम एक वायर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में काम करती थीं उनके पास ईएसआई कार्ड भी था। उनके जेठ शैलैंद्र ने बताया, ‘ईएसआईसी अस्पताल ने उसे कुछ समय के लिए ऑक्सिजन लगाई और फिर उसे सेक्टर 30 स्थित जिला अस्पताल में रिफर कर दिया गया लेकिन वहां के स्टाफ से उसे भर्ती नहीं किया। स्टाफ ने कहा कि हम खो’ड़ा से आए जो कंटेनमेंट जोन है इसलिए हमें वापस जाकर वहीं इलाज कराना चाहिए। उन्होंने नीलम को देखा तक नहीं।’

इसके बाद परिवार नीलम को लेकर सेक्टर 51 स्थित शिवालिक अस्पताल लेकर गया जहां कहा गया कि महिला की हा’लत गंभी’र है और उसे किसी बेहतर अस्पताल ले जाया गया। शैलेंद्र ने कहा कि वहां कोई रिफरल स्लिप भी नहीं गई। 11 बजे के करीब नीलम का परिवार उसे लेकर फोर्टिस गया लेकिन वहां भी उसे भर्ती नहीं किया गया।

को’विड-19 अस्पता’लों ने भी भर्ती नहीं किया

शैलेंद्र ने कहा, ‘स्टाफ ने कहा कि उनके पास बेड और वेंटिलेटर खा’ली नहीं है। उसे किसी दूसरी जगह ले जाने को कहा। परिवार और नीलम ने अभी भी हिम्मत नहीं हा’री और सेक्टर 128 स्थित जेपी अस्पताल पहुंचे, यहां भी नीलम को भर्ती नहीं किया। नीलम को को’विड-19 लक्ष’ण थे और उसे शारदा अस्पताल या ग्रेटर नोएडा स्थित जिम्स ले जाने को कहा।’ दोनों ही कोविड-19 अस्पताल हैं लेकिन परिवार का दावा है कि नीलम को यहां भी भर्ती नहीं किया गया।

4,500 रुपये लिए और टेस्ट भी नहीं हुआ

शैलेंद्र ने कहा, ‘हम शारदा अस्पताल गए यह जिम्स अस्पताल के नजदीक स्थित है। यहां हमें कहा गया कि नीलम का कोविड-19 टेस्ट कराया जाए। हमसे 4500 रुपये लिए लेकिन टेस्ट से पहले ही जिम्स रिफर कर दिया गया और कहा गया कि बेड खाली नहीं है। हमने 108 से ऐंबुलेंस बुलाने की कोशिश की लेकिन एक भी नहीं मिला। हमने 5,800 रुपये देकर एक प्राइवेट ऐंबुलेंस बुलाई और उसे ऑक्सिजन स’पोर्ट पर जिम्स लेकर गए लेकिन वहां भी खाली बेड नहीं मिले।’

‘जो हमारे साथ हुआ किसी और के साथ न हो’

उम्मीद साथ छोड़ने लगी थी लेकिन फिर भी परिवार नीलम को लेकर गाजि’याबाद वैशाली स्थित मैक्स अस्पताल ले गया लेकिन वहां भी भर्ती करने से म’ना कर दिया गया। वे दोबारा जिम्स लेकर गए लेकिन जैसे ही वे वहां पहुंचे नीलम की ऐं’बुलेंस में ही मौ’त हो गई। शैलेंद्र ने कहा, ‘जब उसने कोई रिस्पॉन्स नहीं किया तो हमने स्टाफ से चेक करने को कहा लेकिन साढ़े 7 बजे उसे मृ’त घोषित किया गया।’ शैलेंद्र ने कहा, ‘जो हमारे परिवार के साथ हुआ, वह किसी और के साथ न हो। हम मुख्यमंत्री को इस बारे में पत्र लिखेंगे।’

मामले में जांच समिति गठित

इस मामले को गंभी’रता से लेते हुए गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी सुहा’स एल वाई ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई है। उन्होंने बताया कि खोड़ा कॉलोनी निवासी वीरेंद्र गौतम की पत्नी नौ महीने की गर्भ’वती थी।

जिला सूचना अधिकारी राकेश चौहान ने बताया कि इस मामले को गंभी’रता से लेते हुए जिलाधिकारी सुहास एल वाई ने अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व मुनींद्र नाथ उपाध्याय तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक ओहरी को इसकी जांच सौंपी है। जिलाधिकारी ने दोनों अधिकारियों को इस प्रकरण में तत्काल जांच करते हुए का’र्रवाई करने का निर्देश दिया है।

दिन भर दौड़ती रही ऐंबुलेंस

सुबह 6 बजे -ईएसआईसी हॉस्पिटल, सेक्टर 24

सुबह 9 बजे- जिला अस्पताल, सेक्टर 30

सुबह 10 बजे- शिवालिक हॉस्पिटल, सेक्टर 51

दोपहर 11 बजे- फोर्टिस हॉस्पिटल, सेक्टर 62

दोपहर 1: 30 बजे- जेपी हॉस्पिटल, सेक्टर 128

दोपहर 2:30 बजे- शारदा हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा

दोपहर 3:30 बजे- जिम्स, ग्रेटर नोएडा

शाम 5:30 बजे- मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली

शाम 7 बजे- दोबारा जिम्स पहुंचे

अब पढ़िए, क्या बोले अस्पताल

‘गर्भ’वती महिला कोरो’ना सं’दिग्ध लग रही थी’

जेपी अस्पताल की ओर से कहा गया कि मरीज कोरो’ना की सं’दिग्ध लग रही थी, इसलिए उसे जिम्स रेफर कर दिया है। वहीं, मैक्स हॉस्पिटल की ओर से कहा गया कि इमरजेंसी में ऐसे किसी मरी’ज का रजिस्ट्रेशन नहीं किया है। सेक्टर- 24 ईएसआईसी के डायरेक्टर से पक्ष लेने के लिए कॉल और मेसेज किया गया पर उन्होंने अपना जवाब व पक्ष नहीं दिया। वहीं, शारदा अस्पताल का कहना है कि उन्हें अभी इसकी जानकारी नहीं है। मामले की जांच की जा रही है।

4 जून को महिला की तबीयत ठीक होने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया था। हालांकि 5 जून को जब पी’ड़िता अस्पताल आई तो उसे ऑ’क्सिजन सपोर्ट दिया गया, लेकिन स्थिति गंभी’र होने के बाद उसे दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया गया। महिला कोरो’ना की संदिग्ध मरीज लग रही थी।

रवि मोहता, संचालक, शिवालिक अस्पताल, सेक्टर-51

गर्भवती महिला 11 बजे के करीब अस्पताल आई थी। उसकी हा’लत का’फी गंभीर थी। उसे ऑक्सिजन देने के साथ नेबुलाइज भी किया गया। इसके साथ ही पीड़िता के पति को ऐंबुलेंस से दूसरे अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई।

-फोर्टिस अस्पताल

पीड़िता का पति जिम्स में आया था। उसने बताया नहीं होगा कि महिला की तबी’यत गं’भीर है। शायद इस वजह से भर्ती नहीं हुई होगी। हालांकि दोबा’रा मरीज को भर्ती किया, लेकिन उनकी मौ’त हो गई। -ब्रिगेडियर डॉ. राकेश गुप्ता, डायरेक्टर, जिम्स